Add To collaction

लेखनी कहानी -07-august -2022 Barsaat (Love ♥️ and tragedy ) episode 24




"हेलो भव्या  कैसी हो " श्रुति ने कहा

"मैं ठीक हूँ आप लोग यहाँ क्या कर रहे हे  वो भी इस समय " भव्या ने पूछा

"ह,,, ह,,,, ह,,, हम ,, हम बस ऐसे ही सोचा तुमसे मिलले " हंशित ने हकलाते हुए सामने खड़े अपने दोस्तों की तरफ देखते हुए कहा

"कुछ तो हुआ हे  आप लोग ऐसे ही तो नही आये होगे यहाँ पर जो कुछ हे बता दीजिये डरये मत " भव्या ने कहा

श्रुति ने सब की तरफ देखा  और फिर बोली " हमें तुम्हारी मदद चाहिए अपने दोस्त के लिए "

"मदद  कैसी मदद भला मैं आप लोगो की क्या मदद कर सकती हूँ " भव्या ने पूछा  हेरत से

"तुम्ही हो जो हमारी मदद  कर सकती हो, हमारे दोस्त की मुश्किल आसान कर सकती हो, हमारे दोस्त  के हाल -ए -दिल को समझ सकती हो " लव ने कहा


"भला मैं कोई दिल की डॉक्टर हूँ जो तुम्हारे दोस्त के दिल का हाल समझ सकती हूँ उसे कोई परेशानी हे  तो कार्डियोलॉजिस्ट को दिखाओ मेरे पास क्यू आये हो " भव्या  ने कहा


"काश इस बीमारी का इलाज कर्डियोलॉजीस्ट के पास होता, काश की वो इस बीमारी को ठीक कर देता कम्बख्त ये बीमारी तो किसी दवा  से ठीक ही नही होती इसका इलाज तो सिर्फ एक ही शख्स के पास होता हे  जब वो पास होता हे  तो ये बीमारी अपने आप ठीक हो जाती हे  और जब दूर होता हे तो बढ़ जाती हे  " हंशित ने कहा बहुत ही दर्द भरे  अंदाज़ में

"मैं कुछ समझी नही आखिर किस दोस्त को ऐसी बेतुकी बीमारी हुयी हे  जिसका इलाज ढूंढ़ने तुम लोग मेरे पास आये हो " भव्या ने कहा

"भव्या  एक बात बताओ तुम नाराज़ तो नही होगी, और गुस्सा तो नही करोगी अगर हम तुम्हे कुछ  ऐसा बताये जिसे सुन कर तुम्हे बुरा तो लगे किन्तु बाद में तुम हमारी मदद करो  वादा करो " श्रुति ने कहा

"भला ऐसी भी क्या बात हे  जो तुम लोग इतना डर रहे हो जो कुछ भी हे साफ साफ बता दो " भव्या ने पूछा 

"भव्या  बात कुछ यूं हे  की हमारा  दोस्त श्रुति कहती तब ही हंशित  बीच में बोल पड़ता 

भव्या बात यूं हे  की मुझे ना जाने क्या हो गया  हे  जबसे  मेने तुम्हारी बहन को देखा हे  वो उसके साथ गुज़ारा पहला  लम्हा जब  मेने उसे पहली बार देखा  तब  ही मेरे दिल की धड़कन ज़ोर ज़ोर से धड़कने लगी थी  और उसके बाद जब  उस टूरिस्ट शॉप पर उसे देखा तब भी दिल में कुछ  हुआ था  लेकिन तब इतना महसूस  नही हुआ। उसके साथ  गुज़ारा हर एक लम्हा मानो मेरे दिल की किताब पर किसी कहानी की तरह छप सा गया हे ।

उसकी वो हसीं, मानो चारो दिशाये एक साथ हॅस रही हो, उसके चेहरे पर आयी वो उदासी मानो धरती ने घूमना  छोड़  दिया हो उसके साथ बिताया हर एक लम्हा मेरे लिए किसी सुनहरे वक़्त से बढकर नही हे  आज  तक कभी भी किसी के लिए मेरे इस दिल में कुछ नही हुआ लेकिन ना जाने क्यू हिमानी को देख  कर दिल में कुछ कुछ होता हे , चारो और संगीत बजने लगता हे आँखे उसकी झील सी आँखों को तकती रहती हे  उसकी उन आँखों में उतरने का जी  करता हे । नही जानता ऐसा क्यू हो रहा था  सोते जागते बस  उसी के ख्याल आते हे  और अब जब  पता  चला की उसकी शादी तय हो चुकी हे  तो मानो ऐसा लगा  कोई सपना देख रहा था  और किसी ने सुई चुबा कर वो सपना तोड़ दिया।


समझ  नही आ रहा था  ऐसा क्यू हो रहा था  मेरे साथ  लेकिन फिर  एहसास  हुआ की इस खाली पड़े दिल में मोहब्बत ने घर बना लिया हे  और वो मोहब्बत सिर्फ और सिर्फ हिमानी के लिए हे  मैं नही जानता जो एहसास मेरे दिल में उसके लिए उठ  रहे हे  क्या उसके दिल में भी उठ  रहे हे  बस  तुम्हारी इतनी मदद  चाहिए  क्या तुम इस बात का पता  लगा  सकती हो की वो मेरे बारे में क्या राय रखती हे  या मेरी मोहब्बत एक तरफा हे  "


भव्या  उसकी बातें सुन रही थी  और बोली " आखिर  मैं तुम्हारा भरोसा  क्यू करू  और तुम होते कौन हो मेरो बहन के लिए  इस तरह के जज़्बात रखने वाले तुम शहरी लोग तुम्हारा क्या भरोसा  कब मन भर  जाए और मेरी बहन को दर दर की ठोकरे खाने के लिए छोड़  दो "


"ऐसा मत कहो  भव्या  हम  सब  बड़ी उम्मीद लेकर आये हे तुम्हारे पास एक तुम ही हो जो हमें बता  सकती हो की आखिर हिमानी के दिल में क्या हे , क्या वो इस शादी  से खुश हे  क्या उसकी रज़ा मंदी शामिल हे  इस शादी में, क्या वो उस लड़के से प्यार करती हे " लव ने कहा विनम्रता पूर्वक


"मेरी बहन की जो भी मर्ज़ी हो लेकिन भला  मैं तुम अनजान लोगो पर भरोसा  क्यू करू क्या पता  तुम लोग खेल  खेल रहे हो, तुम शहरी लोग तो ऐसे ही होते हो हम  पहाड़ो पर रहने वाली मासूम और भोली भाली लड़कियों को अपने प्रेम जाल में फसा लेते हो और बाद में ख्वाहिश पूरी होने पर छोड़ जाते हो अपने साथ  लेकर जाने का झूठा वायदा करके  " भव्या ने कहा


"नही भव्या  मोहब्बत कोई खेल नही माना आज  कल के लोगो ने इसे खेल  बना लिया हे  जिस्म की भूख मिटाने के खातिर  लेकिन तुम मेरा यकीन करो  हिमानी मेरी पहली मोहब्बत हे  और आखिरी  भी वही होगी तुम्हे तुम्हारे भगवान का वास्ता जिनकी पूजा  तुम सुबह शाम करती हो एक बार मुझे बता  दो की वो भी  मेरे लिए  कुछ  प्यार भरे ज़ज़्बात रखती हे  अगर ऐसा हे  तो मैं कसम खाता हूँ चाहे कुछ भी हो जाए उसे अपने साथ  शादी के बंधन में बांध कर ले जाऊंगा और तुम देखती रहना  की हर मोहब्बत करने वाला झूठा नही होता और हर मोहब्बत में जिस्म की भूख  नही होती, सच्ची मोहब्बत रूहानी होती हे  ' हंशित ने कहा उसकी आँखों में आंसू थे 


भव्या  उसकी आँखे पढ़ सकती थी  जिनमे उसकी बहन के लिए मोहब्बत भरी हुयी थी  वो अंदर ही अंदर खुश थी कि आखिर कार उसकी बहन के सपनों का राजकुमार उसे ढूँढ़ते हुए आ गया  लेकिन उसे कही ना कही डर भी था की कही उसकी बहन मोहब्बत के हाथो रुसवा ना हो जाए ज़माने भर में। इसलिए उसने अपने दिल को भावनाओं में बहने से रोका और बोली " मैं आप  लोगो से वायदा तो नही कर सकती  लेकिन मैं कोशिश जरूर करूंगी  लेकिन मेरी तुमसे गुज़ारिश हे  की मेरी बहन का कभी दिल मत तोडना उसका दिल बेहद नाजुक हे  उसे मोहब्बत पर भरोसा  नही या यूं कहे की आज  कल की मोहब्बत पर उसे भरोसा नही मेने भी उसके अंदर बेहद बदलाव  देखे हे तुमसे मिलने के बाद, लेकिन इन बदलावो को तुमसे मोहब्बत का नाम देना तो सही नही रहेगा  लेकिन फिर भी मैं कोशिश करूंगी मेरी बहन थोड़ा  जिद्दी हे  वो चाह कर भी इजहारे मोहब्बत नही करेगी अगर तुमसे मोहब्बत होगी भी उसे तब भी  क्यूंकि वो माँ पिताजी का भरोसा  नही तोड़ सकती ।


"तो क्या वो अपनी मोहब्बत को यूं ही दफन कर देगी अपने अंदर " हंशित ने पूछा 

"हाँ कर देगी उसके लिए माँ पिताजी के मान सम्मान से बढ़ कर कुछ नही हे  इसलिए तो देखो ना चाहते हुए भी उस सुरेन्द्र से शादी कर रही हे  ताकि पिताजी के ऊपर दहेज़ का बोझ ना आये  मेरी बहन सब के लिए इतना सोचती हे  अब तो बस  एक ही दुआ हे  की भोलेनाथ उसकी ज़िन्दगी में भी उसकी मँचाही खुशियाँ भर दे और अगर तुम दोनों सच्चा प्यार करते हो तो तुम दोनों मिल जाओ जैसे दो लहरें आपस  में मिल जाती हे  हमेशा हमेशा के लिए  " भव्या ने कहा


"बहुत  बहुत शुक्रिया तुम्हारा भव्या  मेरा हाल -ए - दिल समझने के लिए , तुम्हारी बहन के आँख में एक भी आंसू नही आने  दूंगा  मेरा वादा हे  तुमसे " हंशित  ने कहा और ख़ुशी से भव्या को गले लगा लिया।

भव्या  भी थोड़ा  खुश  थी की आखिर कार उसकी बहन को उसके बलिदानो का फल मिल ही गया  इतना प्यार करने वाले लड़के के रूप में वो वहा  से अपना नंबर  हंशित को देकर चली गयी वो बार बार पीछे मुड़कर देखती ।


वो पीछे को देखते हुए आ रही थी की अचानक उसकी टक्कर हिमानी से हो गयी सामने अपनी बहन को देख  वो घबरा गयी  और काँपते होठो से बोली " द,,,, द,,,,, दीदी आप , सोइ नही अभी तक "

"तू बता  तू कहा से आ रही हे  इतनी रात गए " हिमानी ने पूछा 

"क,,,, क,,, कही से भी तो नही बस  ऐसे ही बाहर चहल कदमी कर रही थी  समय का पता  ही नही चला  " भव्या  ने पूछा 

"अच्छा, तो फिर  बार बार पीछे मुड़ कर क्या देख  रही थी , भव्या  सच सच बता क्या बात हे  कही कोई लड़के का चककर तो नही हे  क्यूंकि आज  कल तू प्यार मोहब्बत की बातें कर रही हे  " हिमानी ने पूछा 


"क्या दीदी आप भी , कैसी बातें कर रही हो दिल में मोहब्बत तो किसी और के घर बना रही हे  और उसे पता भी नही " भव्या  ने बात काटते हुए हिमानी की तरफ  मुस्कुरा कर प्यार भरे अंदाज़ में कहा


"क्या मतलब  तेरा बात को घुमा  मत और सच सच बता  कहा गयी थी" हिमानी ने कहा


"दीदी सच सच बताओ ना वो हरी आँखों वाला लड़का  तुम्हे केसा लगता हे " भव्या ने कहा


"भव्या  तू मेरे हाथो से बहुत बुरा पिट जाएगी किसी दिन, तुझे कितनी बार मना किया हे की उस लड़के का नाम मत लिया कर और वो मुझे केसा भी लगता  हो तुझे  इससे क्या लेना देना तू कोई मेरी माँ हे  जो तुझे सब  बताऊ , तुझे पता  होना चाहिए कुछ  दिन बाद मेरी शादी हे सुरेन्द्र के साथ  " हिमानी ने कहा


"ओह हो किस भोंदू का नाम ले लिया आपने दीदी, ईश्वर  आपकी जोड़ी किसके साथ जोड़ने की कोशिश कर रहे हे  और आप  हो की सुरेन्द्र के पीछे पड़ी हो, नही हे  वो आपके काबिल ना ही वो और ना उसकी लालची माँ आप  अपने दिल की क्यू नही सुनती इतना जज़्बाती क्यू हो जाती हो, एक बार अपने दिल की भी तो सुनो वो किसे पसंद करता हे  उसे किस के लिए  धड़कना  पसंद हे  उसपर किसका नाम लिखा हे , सुरेन्द्र, सुरेन्द्र उसी के गुण गाती फिरती हो, एक बार अपने मन मंदिर में झाँक कर देखो वहा  किस की तस्वीर लगी हे  सुरेन्द्र की या उस हंशित की जिसके आने के बाद आपने भी खुद को बदलना  शुरू कर दिया था  और ऐसा इसलिए क्यूंकि आपको भी  वो पसंद  आने लगा था  आपके दिल में भी उसकी मोहब्बत घर करने लगी थी आप  मानो या मत मानो कही ना कही आपको भी उससे मोहब्बत हो गयी हे  दीदी " भव्या ने कहा


"मोहब्बत, मोहब्बत तंग आ गयी हूँ इस नाम से नही हे कोई मोहब्बत इस नाम से मुझे , मोहब्बत सिर्फ दर्द देती हे  और ज़माने भर में रुसवा करती हे  और कुछ नही। तू  चाहे कितनी कोशिश करले लेकिन मैं कभी ये मानने को तैयार नही होंगी कि मैं उस लड़के से मोहब्बत करती हूँ " हिमानी ने कहा और जाने लगी 


"दीदी आप  को मानना पड़ेगा , आपका दिल आपको इस बात को मानने के लिए विवश कर देगा आप  मजबूर हो जाओगी अपने दिल कि बात सुनने को क्यूंकि सच्ची मोहब्बत दिलो में इंसान नही भगवान डालता हे  और वो जानता हे  कब  और कैसे इस मोहब्बत को ज़ाहिर करवाना हे  आप  कितना भी खुद से झूठ बोल लो अपने आप को समझा लो लेकिन जब  आप  उससे मिलोगी उसकी आँखों में भी वही प्यार और चमक देखोगी अपने लिए तो खुद बा खुद  इज़हार - ए - मोहब्बत कर दोगी ना चाहते हुए भी  " भव्या  ने कहा पीछे  से जब  उसकी बहन  आँखों में आंसू लिए जा रही थी ।


हिमानी कमरे में आकर  तकये पर सर रख कर खूब रोई  और रोते रोते ही सो गयी ।


आगे की कहानी जानने के लिए जुड़े रहे मेरे साथ  

   18
5 Comments

Sachin dev

08-Aug-2022 10:17 PM

Very interesting part 👍

Reply

Renu

08-Aug-2022 10:13 PM

Very nice 👍

Reply

shweta soni

08-Aug-2022 01:33 PM

Behtarin bhag 👌

Reply